किसी भी शहर, राज्य या देश का निरंतर विकास होना लाजमी है, यह अलग बात है किसी प्रदेश का विकास कभी तेजी से होता है और कभी मध्य गति से परंतु विकास निरंतर होता ही है।
हमारी सरकार जबरदस्त आमजन के लिए कई सारे स्कीमें लेकर आती है और कई स्कीमों का लाभ आमजन को जरूर मिलता है परंतु कई स्कीमें सिर्फ यूं ही रह जाते हैं परंतु जब जमिनी हकीकत देखी जाती है तो असली आमजन की परेशानी सामने नजर आने लगती है।
आम जीवन त्रस्त परंतु हमारी सरकार मस्त अपनी वाहवाई लेने में जबरदस्त दिखती है।
पटना के लगभग अधिकांश कॉलोनीयों के सड़कों की स्थिति काफी जर्जर दिखाई देती है, परंतु सरकारी महकमा में शायद हमारे अधिकारियों को पता हो या ना हो।
फिर भी ई-वोटिंग एवं अन्य कुछ कार्यकलापों के आधार पर पटना को अव्वल नंबर करवाया जाता है और पटनावासीयो को चंडीगढ़ और विदेश का सपना दिखाया जाता है।
पटना जो बिहार की राजधानी भी है, पटना नगर निगम की कैसी निगाहें हैं नगर के मुख्य मार्ग को छोड़ दें और किसी भी मुख्य मार्ग से थोड़ा 200 या 500 मीटर अंदर कॉलोनी में जहां पटना के आम नागरिक रहते हैं वहां समस्याओं का जाल दिखने लगेगा।
बेतरतीव ढंग से बिजली एवं अन्य तारों का अतिक्रमण।
कई बड़े सरकारी पदों पर कार्यरत एवं कई सेवानिवृत्ति लोगों के आलीशान मकान जिसमें कई रसूखदार सरकारी सड़क पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण किए हुए हैं।
इसकी कितनी शुद् हमारे सरकारी मुलाजिमों को है यह तो वही बता सकते हैं
परंतु यदि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आए गरीब ठेला लगाकर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं तो हमारे सरकारी तंत्र उसे हटाने में काफी चुस्त और फुर्तीली दिखती है
होना भी चाहिए हमारे भारत में संविधान एक है परंतु देखा जाता है आर्थिक रूप से कमजोर पर डंडा जबरदस्त और तुरंत चल जाता है जिसकी शुद्ध लेने वाला शायद ही मिले।