हावड़ा के हुगली नदी के किनारे का जीवन और चाय की दुकानें भी। उन्हीं फोटोग्राफ्स को यहाँ
प्रदर्शित किया गया है।
उद्घाटन समारोह में बोलते हुए गणेश खेतरीवाल ने कहा कि वे समय-समय पर देश-दुनिया की सैर करते रहे हैं। उस दौरान जब उनकी पारखी आँखें समसामयिक, धार्मिक, नगरीय, प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक सौंदर्य को देखती है, तो उसे कैमरे में कैद करने को इनका मन अधघीर हो जाता है। उस दौरान खींचे गए सैकड़ों फोटोग्राफ्स का एक समृद्ध संकलन इनके पास है।
सुप्रसिद्ध मूर्ति शिल्पी रत्नाबली कांत ने अपने संबोधन के क्रम में कहा कि मेरी इस पुनरावलोकन प्रदर्शनी में मेरे गौरवशाली जीवन और समृद्ध करियर के पिछले तीन दशकों को शामिल किया गया है। यह उनके कार्यों की एक विविध श्रृंखला प्रदर्शित करेगी, जिसमें पेंटिंग, मूर्तियाँ और रिकॉर्ड किए गए प्रदर्शन शामिल होंगे, जो साबित करेंगे कि उनकी कलात्मक अभिव्यक्ति कितनी खास है।
उद्घाटन समारोह के बाद श्री अंजनी कुमार सिंह और अन्य अतिथियों ने बिहार संग्रहालय के अस्थायी दीर्घा में लगी रत्नाबली कांत की प्रदर्शी और उसके बाद बहुउद्धेशीय दीर्घा में प्रदर्शित गणेश खेतड़ीवाल की फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया। समारोह में बड़ी संख्या में शहर के कला प्रेमी और व्यवसायी उपस्थित थे।
समारोह की शुरूआत में उपस्थित अतिथियों एवं दर्शकों का स्वागत करते हुए बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक, श्री अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि बिहार संग्रहालय समय-समय पर देश के नामचीन कलाकारों के सम्मान में उनकी पुनरावलोकन प्रदर्शनियों का आयोजन करता रहा है। अबतक सुख्यात मूर्तिकार हिम्मत शाह से लेकर ब्रह्ममदेव राम पंडित तक लगभग १8 कलाकारों की प्रदर्शी आयोजित हो चुकी है। उसी क्रम में श्री गणेश खेतड़ीवाल ओर श्रीमती रत्नाबली कांत की प्रदर्शनी आज से प्रारंभ हो रही है। बिहार संग्रहालय के उपनिदेशक, सुनील कुमार झा ने किया धन्यवाद ज्ञापन किया, और मंच का संचालन बिहार संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष सुश्री मौमिता घोष ने किया।
आयोजक संस्था आसरा सेवा केन्द्र के सचिव कैलाश प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार संग्रहालय एवं बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सहयोग से आज से शुरू हुए प्रशिक्षण सह कार्यशाला में 60 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इनमें मुरबई एवं दिल्ली से आये कुछ प्रतिभागी भी शामिल हैं। उसमें 06 लोग मधुबनी पेंटिंग में राष्ट्रीय पुरस्कार और राज्य पुरस्कार विजेता है। यह इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की लोकप्रियता का सूचक है।
उद्घाटन समारोह को पद्मश्री बौआ देवी, पद्मश्री दुलारी देवी, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मोती कर्ण और नेपाल की श्रीमती रागिनी उपाध्याय प्रशिक्षण दे रही है। प्रशिक्षण के पहले दिन सेम का पत्ता, पीपल का छाल, गेंदा, गुलाब एवं अपराजिता के फूल तथा गाय के गोबर से प्राकृतिक रंगों के निर्माण से अवगत कराया गया। कार्यक्रम को पद्मश्री बौआ देवी, पद्मश्री दुलारी देवी, श्रीमती मोती कर्ण और श्रीमती रागिनी उपाध्याय (नेपाल) ने भी संबोधित किया। आसरा सेवा केन्द्र की कोषाध्यक्ष श्रीमती फिरदौस कौसर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।