मुख्य डाक महाध्यक्ष, श्री अनिल कुमार द्वारा लिखी गयी पुस्तक “BAPU IN BIHAR” का विमोचन माननीय राज्यपाल द्वारा किया गया

मुख्य डाक महाध्यक्ष, श्री अनिल कुमार द्वारा लिखी गयी पुस्तक “BAPU IN BIHAR” का विमोचन माननीय राज्यपाल द्वारा किया गया

               बिहार के माननीय राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज गवर्नर हाउस में आयोजित एक प्रतिष्ठित समारोह में "BAPU IN BIHAR – Gandhiji’s Pilgrimage in search of Truth " पुस्तक का विमोचन किया। श्री अनिल कुमार, मुख्य डाक महाध्यक्ष, बिहार परिमंडल, पटना द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन सम्मानित अतिथियों और अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।
 

               11.00 बजे शुरू हुए इस समारोह में श्री पवन कुमार, निदेशक डाक सेवाएं (मुख्यालय), श्रीमती दीपशिखा बिरला, प्रो. आई.पी.ओ.एस., श्री एस.के. बोस, एस.ई. (सिविल), श्री संजय नाथ, ए.जी.एम. (आई.पी.पी.बी.), श्री रंजय कुमार, मुख्य डाकपाल, पटना जी.पी.ओ., श्री राजदेव प्रसाद, वरिष्ठ अधीक्षक रेल डाक सेवाएँ, ‘पी.टी’ मंडल, पटना, श्री मनीष कुमार, वरिष्ठ डाक अधीक्षक, पटना, मोहम्मद राशिद खान, ई.ई. (सिविल), श्री प्रदीप जैन, डाक टिकट संग्रहकर्ता, डॉ. कवलजीत सिंह गांधी, डाक टिकट संग्रहकर्ता, श्री प्रज्ञा जैन, डाक टिकट संग्रहकर्ता, सरदार परमजीत सिंह, डाक टिकट संग्रहकर्ता, श्री एल.के. मिश्रा, डाक टिकट संग्रहकर्ता, अन्य डाक टिकट संग्रहकर्ता और बिहार डाक परिमंडल के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। माननीय राज्यपाल, जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भी थे, ने डाक टिकटों के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन और विरासत को दर्ज करने में श्री अनिल कुमार के प्रयासों की सराहना की।

               पुस्तक "BAPU IN BIHAR – Gandhiji’s Pilgrimage in search of Truth" गांधीजी पर अब तक जारी किए गए डाक टिकटों, प्रथम दिवस कवर, विशेष आवरण एवं विरूपण और मैक्सीकार्ड का एक व्यापक संग्रह है और एक सत्याग्रही के रूप में गांधीजी की यात्रा को आकार देने में बिहार द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। गांधीजी ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन बिहार के चंपारण से शुरू किया था, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। पुस्तक दर्शाती है कि कैसे बिहार की मिट्टी ने गांधीजी के अहिंसा और सविनय अवज्ञा के आदर्शों को पोषित किया और उन्हें उस महात्मा में बदल दिया जिसका हम आज सम्मान करते हैं।
 
               दुर्लभ टिकटों के संग्रह के माध्यम से, यह पुस्तक पाठकों को बिहार के साथ गांधीजी के जुड़ाव की एक दृश्य यात्रा पर ले जाती है, जिसमें चंपारण में राजकुमार शुक्ल के घर में उनके शुरुआती दिनों से लेकर राज्य की उनकी बाद की यात्राओं तक शामिल है। यह पुस्तक डाक टिकट संग्रहकर्ताओं, इतिहासकारों और गांधीजी के जीवन और विरासत में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक खजाना है। यह प्रकाशन भारत के इतिहास के इस महत्वपूर्ण अध्याय को संरक्षित करने में श्री अनिल कुमार और बिहार डाक परिमंडल के समर्पण और कड़ी मेहनत का एक प्रमाण है।
 
               समारोह का समापन बड़ी सफलतापूर्वक हुआ I श्री प्रदीप जैन, डाक टिकट संग्रहकर्ता द्वारा राज्यपाल, माननीय राजेंद्र अर्लेकर, लेखक, श्री अनिल कुमार, मुख्य डाक महाध्यक्ष, बिहार परिमंडल, पटना और इस आयोजन में शामिल सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन दिया I
 
 
 


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