बिहारी फर्स्ट फिर बिहार पीछे क्यों?
कमो बेस बिहार में सरकारी महकमा के कुछ पदाधिकारी के गैरजिम्मेदाना रवैया को देखते हुए बिहार के राज्यपाल ने भी बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन के 79वें स्थापना दिवस के अवसर पर बिहार में उद्योगों की स्थिति पर अपनी गहरी वेदना व्यक्त की
और उन्होंने कहा बिहार में यदि उद्योगों को बढ़ावा नहीं मिला तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
यदि बिहार के नागरिक है तो यही बिहार के नागरिक दूसरे राज्य में जाकर इतनी अच्छी कार्य कुशलता कैसे संपादित करते हैं ?
और अपने राज्य में ही जहां लगभग सभी संसाधन उनके लिए आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं और बिहार राज्य संसाधन संपूर्ण राज्य है यहां न पानी की समस्या है ना उर्वरा भूमि की और ना ही मेहनती मजदूर की फिर भी उद्योगों की स्थिति लगभग ना के बराबर है
कहीं ना कहीं उद्योग से जुड़े बड़े महकमा को इस पर गंभीरता पूर्वक चिंतन और मंथन करते हुए ईमानदारी से और पूरी पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाना होगा
और उद्यमियों को सहयोग देना पड़ेगा
तभी हमारा बिहार उधम के क्षेत्र में उद्योग के क्षेत्र में एक परचम लहरा सकेगा
उन्होंने बड़ा सटीक और झकझजोड़ देने वाला उदाहरण हमारे बिहार राज्य के उद्योग मंत्री आदरणीय समीर कुमार महासेठ जी और बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष के समक्ष, भारत सरकार के एमएसएमई के पदाधिकारी, उद्योग धंधों से जुड़े कई उद्योगपतियों एवं बैंकिंग सेवा के वरिष्ठ पदाधिकारी को संबोधित करते हुए कहा
“”गोवा के एक इंडस्ट्रियल एरिया में जितने उद्योग स्थापित है शायद पूरे बिहार में भी उतने उद्योग नहीं चल रहे हैं”
यह बिहार के लिए कितना बड़ा तमगा है यह हमारे बिहार के उद्यमियों, प्रशंसकों, मंत्रालय्यों, वित्तीय संस्था से जुड़े बड़े-बड़े महकमों एवं उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी तंत्र को इस पर गंभीरता पूर्वक सोचना ही पड़ेगा
नहीं तो यूं ही स्किल लेबर, अच्छे बिहार के इंजीनियर, नवयुवक पलायन करने को मजबूर शायद होते रहेंगे
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग बनाने के लिए एमएसएमई की तरफ से लगभग 30 उद्यमियों का चयन किया गया और बहुत ही अच्छे ढंग से ट्रेनिंग संपन्न कराया जा रहा है एमएसएमई -भारत सरकार -बिहार राज्य के पटना जिला में
बायोडिग्र प्लास्टिक बैग के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए हमारे युवा सांसद आदरणीय चिराग पासवान जी ने भी सभी उद्यमियों को बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट के नारा देते हुए इस क्षेत्र में आगे बढ़कर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया और हर संभव सरकार के द्वारा मदद दिलवाने का आश्वासन भी दिलवाया था
आदरणीय संजीव आजाद जी डिप्टी डायरेक्टर एमएसएमई पटना एवं अध्यक्ष महोदय संजीव श्रीवास्तव जी के नेतृत्व में कई क्लासेस हुए जिसमें अधिकांश ट्रेनिंग काफी लाभदायक रही एक दो ट्रेनिंग को छोड़कर
प्रथम दिन से ही लाइव मैन्युफैक्चरिंग यूनिट देखने का सभी उद्यमियों को लालसा थी और एमएसएमई के पदाधिकारी के द्वारा साथ ही सिपेट हाजीपुर के पदाधिकारी के द्वारा भी निमंत्रण दिया जा रहा था
सभी उद्यमियों में काफी उत्सुकता थी लाइव प्लांट एवं प्रोडक्शन वर्क को होते देखना
दिनांक 2 नवंबर 2023 बड़े ही उत्साह पूर्वक सभी उद्यमी ससमय एमएसएमई के प्रांगण में उपस्थित हुए
सारी तैयारियां पूर्ण थी और आदरणीय सुधीर कुमार जी एमएसएमई के नेतृत्व में सभी उद्यमी सिपेट हाजीपुर के लिए प्रस्थान किया बड़े उत्साह और उमंग के साथ सिपेट हाजीपुर उपस्थित हुए
परंतु सिपेट के वरिष्ठ पदाधिकारी के द्वारा उद्यमियों के साथ किया गया व्यवहार स्वीकार नहीं था
सिपेट के पदाधिकारी के द्वारा आरोप लगाया गया उन लोगों को फैक्ट्री विजिट की पूर्व सूचना नहीं थी
और सिपेट के वरिष्ठ पदाधिकारी के द्वारा असहयोग की भावना दिखाई जिससे रूस्ट होकर सभी अपमानित अपने आप को समझते हुए बड़े ही दिल कचोट कर सिपेट से विदा लिए
चुकी पूर्व घोषित सिपेट का प्रोग्राम लगातार तीन दिनों तक था
आज की हुई इस घटना के कारण अचानक सिपेट का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया गया
भारत सरकार एवं बिहार सरकार के उद्योग मंत्री से निवेदन है यदि उद्यमियों के साथ प्रारंभ में ही इस तरह का व्यवहार किया जाए तो उद्यमी आगे आना तो दूर उद्यमी बनना सोचेंगे भी नहीं
और कमोवेश सरकारी तंत्र के इस तरह के व्यवहारों का ही नतीजा है बिहार में उद्योगों का ना बढ़ाना
हम लोग सरकार के वरिष्ठ पदाधिकारी से निवेदन करना चाहेंगे जिस तरह से हमारे जन सेवक माननीय राज्य सरकार एवं भारत सरकार के उद्योग मंत्री उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं परंतु उनका अपने कुछ विशेष पदाधिकारी पर संभवत: कंट्रोल है या नहीं उद्यमी कंफ्यूज और ठगा महसूस कर रहा है
उद्यमी
बिहार राज्य
भारत
धन्यवाद
Report based on July 2022
सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध के बाद बायोडिग्रेडेबल की राह चला बिहार, दाम भी काफी कम
कैरी बैग का उत्पादन करने वाली सान्वी इंटरप्राइजेज बिहार की पहली यूनिट बन गई है। सिवान जिले के मीरजुमला स्थित सान्वी इंटरप्राइज में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग का उत्पादन सोमवार से शुरू हो गया है। एक बैग का दाम भी काफी कम है।
सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध के बाद इसके विकल्प के रूप में पहली बार सोमवार से राज्य में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग का उत्पादन शुरू हो गया। इस कैरी बैग का उत्पादन करने वाली सान्वी इंटरप्राइजेज बिहार की पहली यूनिट बन गई है।
आठ अन्य यूनिटें पाइप लाइन में हैं। .
सिवान जिले के मीरजुमला स्थित सान्वी इंटरप्राइज में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग का उत्पादन सोमवार से शुरू हो गया है। प्रोपराइटर विवेक कुमार व सबिता कुमारी ने कहा कि करीब 90 लाख रुपये निवेश से आठ माह में यह यूनिट तैयार हुई।
गुजरात से बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल हमने मंगाया है।
इंडियन बैंक से वित्तीय सहायता मिली है।
स्टेट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड के पास भी आवेदन दिया हूं।
यहां से ब्याज पर सब्सिडी मिलने की उम्मीद है।
यहां 1200 किलो कैरी बैग का प्रतिदिन उत्पाद हाेने लगा है।
महंगा नहीं है बायोडिग्रेडेबल
विवेक कुमार ने कहा कि प्रतिबंधित काले प्लास्टिक कैरी बैग का भाव 110 रुपये, और उजले कैरी बैग का भाव 150 रुपये प्रति किलो रुपये है।
मानक के अनुरूप बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग का भाव करीब 170 रुपये प्रति है।
एक किलो में करीब 400 कैरी बैग होगा।
यानी एक कैरी बैग 17 पैसे का होगा।
यह कैरी बैग मिट्टी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा और छह माह में खाद बन जाएगा।
पटना, मुजफ्फरपुर, सहरसा के साथ गोरखपुर से 500 किलो का आर्डर देने वाले एक दर्जन से अधिक खरीदारों ने संपर्क किया है।
एमएसएमई कर रहा प्रमोट
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ऐसी यूनिट लगाने वालों को प्रोत्साहित कर रहा है।
रक्षा मंत्रालय की हैदराबाद स्थित इकाई डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ने बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल विकसित की है।
इस यूनिट का भ्रमण करने के साथ ही मुफ्त तकनीक दिलाने के लिए पहल की जा रही है।
नई राह पर उद्योग की नजर
बिहार थर्मो फार्मस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार ने कहा कि जून 2018 से सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध लगा था।
इसके बाद विकल्प के तौर पर बिहार की पहली यूनिट में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग की शुरूआत हो गई है।
इस पर प्रतिबंध नहीं है। पूरी इंडस्ट्रीज की नजर इस पर है। प्रयोग सफल रहा तो तेजी से इस राह पर इंडस्ट्रीज आगे बढ़ेगी।
सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध के बाद बायोडिग्रेडेबल की राह चला बिहार, दाम भी काफी कम
कैरी बैग का उत्पादन करने वाली सान्वी इंटरप्राइजेज बिहार की पहली यूनिट बन गई है। सिवान जिले के मीरजुमला स्थित सान्वी इंटरप्राइज में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग का उत्पादन सोमवार से शुरू हो गया है। एक बैग का दाम भी काफी कम है।
सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध के बाद इसके विकल्प के रूप में पहली बार सोमवार से राज्य में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग का उत्पादन शुरू हो गया। इस कैरी बैग का उत्पादन करने वाली सान्वी इंटरप्राइजेज बिहार की पहली यूनिट बन गई है।
आठ अन्य यूनिटें पाइप लाइन में हैं। .
सिवान जिले के मीरजुमला स्थित सान्वी इंटरप्राइज में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग का उत्पादन सोमवार से शुरू हो गया है।
प्रोपराइटर विवेक कुमार व सबिता कुमारी ने कहा कि करीब 90 लाख रुपये निवेश से आठ माह में यह यूनिट तैयार हुई।
गुजरात से बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल हमने मंगाया है।
इंडियन बैंक से वित्तीय सहायता मिली है।
स्टेट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड के पास भी आवेदन दिया हूं।
यहां से ब्याज पर सब्सिडी मिलने की उम्मीद है।
यहां 1200 किलो कैरी बैग का प्रतिदिन उत्पाद हाेने लगा है।
महंगा नहीं है बायोडिग्रेडेबल
विवेक कुमार ने कहा कि प्रतिबंधित काले प्लास्टिक कैरी बैग का भाव 110 रुपये, और उजले कैरी बैग का भाव 150 रुपये प्रति किलो रुपये है।
मानक के अनुरूप बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग का भाव करीब 170 रुपये प्रति है।
एक किलो में करीब 400 कैरी बैग होगा।
यानी एक कैरी बैग 17 पैसे का होगा।
यह कैरी बैग मिट्टी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा और छह माह में खाद बन जाएगा।
पटना, मुजफ्फरपुर, सहरसा के साथ गोरखपुर से 500 किलो का आर्डर देने वाले एक दर्जन से अधिक खरीदारों ने संपर्क किया है।
एमएसएमई कर रहा प्रमोट
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ऐसी यूनिट लगाने वालों को प्रोत्साहित कर रहा है।
रक्षा मंत्रालय की हैदराबाद स्थित इकाई डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ने बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल विकसित की है।
इस यूनिट का भ्रमण करने के साथ ही मुफ्त तकनीक दिलाने के लिए पहल की जा रही है।
नई राह पर उद्योग की नजर
बिहार थर्मो फार्मस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार ने कहा कि जून 2018 से सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध लगा था।
इसके बाद विकल्प के तौर पर बिहार की पहली यूनिट में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कैरी बैग की शुरूआत हो गई है।
इस पर प्रतिबंध नहीं है। पूरी इंडस्ट्रीज की नजर इस पर है। प्रयोग सफल रहा तो तेजी से इस राह पर इंडस्ट्रीज आगे बढ़ेगी।
सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प बनेगा बायोप्लास्ट, सिवान के उद्यमी ने कैरी बैग बनाने का कारखाना लगाया
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ने कदम बढ़ाया है।
रक्षा मंत्रालय अंतर्गत हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ की ओर से वैज्ञानिक के. वीरा ब्रह्मम के नेतृत्व में बायो कंपोस्टेबल ग्रेनयूल्स विकसित किया गया है।
सिंगल यूज प्लास्टिक पर एक जुलाई से प्रतिबंध लगने के बाद इसके विकल्प पर नजर है।
सिंगल यूज प्लास्टिक न तो रीसाइकिल होता है, न ही मिट्टी में मिलने के बाद गलता है, इसलिए ऐसे बायो प्लास्टिक पर नजर है जो जमीन में जाने के बाद खाद बन जाए और पर्यावरण को नुकसान न हो।
इस दिशा में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ने कदम बढ़ाया है।
साथ ही ऐसी यूनिट की स्थापना में भी बिहार के उद्यमी आगे आए हैं।
शुरुआत में कहा गया कि सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प बायोडिग्रेडबल मैटेरियल है।
हालांकि यह मैटेरियल देश में नहीं है इसलिए उद्यमियों ने इसे आजमाने के लिए जर्मनी से आयात किया।
इससे प्लास्टिक के कप, ग्लास बनाए गए लेकिन ये चार गुना महंगे साबित हुए।
इसलिए उद्यमियों ने इसे नकार दिया।
दोबारा इसे किसी उद्यमी ने नहीं मंगाया।
बायो कंपोस्टेबल ग्रेन्यूल्स
एक और विकल्प पर उद्यमियों की नजर है।
रक्षा मंत्रालय अंतर्गत हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ की ओर से वैज्ञानिक के. वीरा ब्रह्मम के नेतृत्व में बायो कंपोस्टेबल ग्रेनयूल्स विकसित किया गया है।
मक्का, आलू, आलू के छिलके, घास आदि से बना यह दाना कंपोस्टेबल प्लास्टिक है।
यानी 90 दिनों में मिट्टी में मिलकर यह यूरिया खाद बन जाता है।
बिहार थर्मो फार्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार के नेतृत्व में चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल डीआरडीओ का ट्रायल प्रोडक्शन देखने गया था।
प्रेम कुमार ने कहा कि अभी डीआरडीओ हैदराबाद की ही इकोलास्टिक प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के सहयोग से इस दाना से कैरी बैग बना रही है।
कटलरी आइटम के लिए दाना बनाने पर यहां शोध चल रहा है।
कहा कि डीआरडीओ के निदेशक डाक्टर एम रामा मनोहरबाबू ने कहा कि नतीजा जल्द आने की उम्मीद है।
पटना स्थित सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विकास संस्थान के निदेशक प्रदीप कुमार ने कहा कि
स्टार्च से बायो प्लास्टिक दाना बनाने की तकनीक अगर कोई उद्यमी लेना चाहता है तो उसे डीआरडीओ से संपर्क करा मुफ्त दिला दिया जाएगा।
बायो प्लास्टिक से कैरी बैग उत्पादन के कगार पर
इधर सीवान में बायोप्लास्ट से कैरी बैग बनाने का कारखाना बन कर तैयार है।
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से स्वीकृति मिलते ही यहां उत्पादन शुरू हो जाएगा।
प्रोपराइटर विवेक कुमार ने कहा कि मैंने अहमदाबाद स्थित एक कंपनी से तकनीक, मशीन व स्टार्च बेस्ड बायोप्लास्ट दाना लिया है।
यूनिट लगाने में करीब 60 लाख रुपये का निवेश हुआ है।
कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक की तरह ही मेरा बायो प्लास्टिक उत्पाद सस्ता होगा, और मिट्टी में मिलने के बाद यह खाद बन जाएगा।
Bio-Plastic Bag- MSME
MSME
Industry